बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

'आकुल' को 'विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान'

साहित्‍य साधना सम्‍मान फिरोजाबाद के डा0 यायावर को, साहित्‍य आराधना पुरस्‍कार हैदराबाद के श्री विजय सप्‍पति को , साहित्‍य सृजन सम्‍मान मुंबई के रमेश यादव को, अहिसास गौरव सम्‍मान नाशिक के नासिर शाकेब को  

डा0 आकुल को दिया गया
विद्योत्‍तमा सम्‍मान का स्‍मृति चिह्न 
नाशिक। 16  अक्‍टूबर, रविवार को पंचवटी, दसवें ज्‍योतिर्लिंग त्रयम्‍बकेश्‍वर महादेव और दक्षिण की गंगा के नाम से मशहूर गोदावरी नदी की तीर्थ भूूमि पर 2012 को स्‍थापित अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा का पहला राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान 2016 नाशिक में पूर्तकोटि सभागार में भव्‍यरूप से आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम का प्रथम सत्र सम्‍मान अलंकरण समारोह के  रूप में आरंभ हुआ दीप प्रज्‍ज्‍वलन कर के। माननीय मुख्‍य अतिथि श्री विपुल सेन, वैज्ञानिक, भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क), समारोह अध्‍यक्ष श्रीमती मनीषा अधिकारी, प्रबंधक एस.डब्‍ल्‍यू.एस. फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस प्रा. लि. नाशिक, विशिष्‍ट  अतिथि श्री प्रदीप शैणे, मंडल प्रबंधक जीवन बीमा निगम, नाशिक एवंं सम्‍मानित साहित्‍यकारों के द्वारा किया गया। 

इसके पश्‍चात् कार्यक्रम का आगाज ईश वंदना से हुआ। सम्‍मान समारोह की शुरुआत अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र द्वारा अहिसास की स्‍थापना के औचित्‍य के उद्बोधन से हुई। उन्‍होंने बताया कि 2012 में अहिसास का आरंभ अहिंदी भाषी क्षेत्र महाराष्‍ट्र के नाशिक में हिन्‍दी-उर्दू-मराठी के विकास के लिए त्रिवेणी के रूप में अद्भुत संगम के साथ हुई। अहिसास की संस्‍थापक अध्‍यक्ष श्रीमती शीला डोंगेरे थी जिनके अमरावती चले जाने के कारण यह संस्‍था, उसकी त्रैमासिक हिन्‍दी पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' के प्रकाशन से ही अपनी पहचान बनाये हुए थी। अहिसास में तिमाही कार्यक्रम होते हैं, जिसमें काव्‍य गोष्‍ठी, विचार गोष्‍ठी, सामयिक विषय पर प्रबुद्ध वक्‍ताओं की संगोष्‍ठी आयोजित करते हैं। वर्तमान में अहिसास के सदस्‍यों की संख्‍या सौ से अधिक हो गयी है। 

आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि गण
इसके पश्‍चात्  अहिसास के इस सम्‍मान समारोह में अहिसास का पहला राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य हिन्‍दी सम्‍मान समारोह था, इसलिए उसकी स्‍मारिका विद्याभारती का लोकार्पण हुआ, अहिसास की त्रैमाकि पत्रिका सार्थक नव्‍या का नया अंक 'विदर्भ विशेषांक' का विमोचन भी किया गया। साथ ही डा0 आकुल के नये नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का भी विमोचन किया गया। विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, कर्नाटक के साहित्‍यकारों को उनकी लंबी हिन्‍दी सेवा के लिए उन्‍हें विभिन्‍न सम्‍मानों से सम्‍मानित किया गया। राजस्‍थान केे तक्षशिला के नाम से प्रख्‍यात शिक्षा नगरी कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' को विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान से श्री सुबोध मिश्र और भी मंचस्‍थ अतिथियों द्वारा शॉल, पुष्‍पपत्र, प्रश‍स्तिपत्र, श्रीफल और पुष्‍पगुच्‍छ दे कर सम्‍मानित किया गया। विद्योत्‍तमा सम्‍मान
अहिसास अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं उनकी पत्‍नी एवं अन्‍य अतिथियों सहित
श्री आकुल को विद्योत्‍तमा  सम्‍मान से सम्‍मानित करते हुए 
स्‍मृतिशेष श्रीमती विद्या मिश्र की स्‍मृति में श्री सुबोध मिश्र, अध्‍यक्ष अहिसास द्वारा आरंभ किया गया है। श्रीमती विद्या मिश्र, श्री सुबोध मिश्र की माता थीं। इसी क्रम में साहित्‍य साधना पुरस्‍कार चूडि़यों के लिए प्रख्‍यात उ.प्र; के शहर फिरोजाबाद के डा0 राम सनेही लाल 'यायावर' को उनकी पुस्‍तक 'आधुनिकता का दर्पण' पर प्रदान किया गया। यह पुरस्‍कार म.प्र; के प्रख्‍यात हास्‍यकवि श्री रमेश चंद्र 'धुँआधार' के पुत्र स्‍व. अमित शर्मा की स्‍मृति में दिया गया। इसी क्रम में  स्‍वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित आत्‍मकथ्‍यात्‍मक उपन्‍यास 'बिम्‍ब-प्रतिबिम्‍ब पर दिया गया, जो श्री चन्‍द्रकांत खेतजी के मूल मराठी उपन्‍यास का हिन्‍दी रूपांतर है। इसमें श्री विवेकानंद के जीवन के कई ऐसे पहलुओं के बारे में रेखांकन है, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
यह पुरस्‍कार डॉ. जी.एम.शेख की स्‍मृति में दिया गया। श्री शेख डिस्ट्रिक्‍ट रजिस्‍ट्रार आयुक्‍त से सेवानिवृत्‍त हो कर सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित हो गये थे। हैदराबाद के श्री विजय कुमार सप्‍पति को उनके कहानी संग्रह 'एक थी माया' पर दिया गया। श्री सप्‍पति को यह स्‍व0 नंद किशोर झालानी की स्‍मृति में उनकी पत्‍नी सुधा झालानी की ओर से दिया गया। श्री झालानी होल्‍कर की नगरी इंदौर में जन्‍में और उन्‍हें होल्‍कर साम्राज्‍य में मुंतजिम बहादुर की उपाधि से अलंकृत किया गया था। विदेश से शिक्षा दीक्षा और विभिन्‍न देशों में सेवा कर वे आखिर में भारत आ गये और हिंडाल्‍को से जुड़ गये। उनके स्‍लोगन 'नॉलेज इज़ माय गॉड' से वे निरंतर क्रियाशील रहे। अंतिम सम्‍मान नाशिक के ख्‍यातनाम शायर नासिर शाकेब को उनके ग़ज़ल संग्रह 'दर्द आशना' पर दिया गया। वे गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके, इसलिए उनके प्रतिनिधि को यह पुरस्‍कार व सम्‍मान दिया गया। यह पुरस्‍कार श्री अशफ़ाक़ अहमद खलीफा द्वारा प्रायोजित था।
कोटा के जनकवि और साहित्‍यकार डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' का परिचय व पुस्‍तक परिचय श्रीमती अनीता दुबे ने पढ़ कर सुनाया। उन्‍होंने किताब 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजायें' का परिचय देते हुए कहा कि इस गीत संग्रह में आकुल ने जीवन के कटु, यथार्थ, सामाजिक विद्रूपताओं, कलुषित मनोवृत्तियों तथा देश में वीभत्‍सतम रूप लेती समस्‍याओं को व्‍यक्‍त किया है। उन्‍होंने अपने आस-पास के परिवेश में केवल इन समस्‍याओं को गहना से परखा ही नहीं है बल्कि दृढ़ता से उनके खिलाफ अपने आपको को खड़ा भी रखा है। समस्‍याऍं तो हैं ही लेकिन गीतकार हमारे सामने एक सकारात्‍मक सोच लिए आते हैं और समाधान भी प्रस्‍तुत
सम्‍मानित पुस्‍तकों को पुरस्‍कारों के लिए चयन करने वाले
निर्णायकों को सम्‍मानित करते अतिथि गण एवं अध्‍यक्ष अहिसास
करते हैा। राष्‍ट्रीयता, नैतिकता, भारतीय संस्‍कृति एवं सभ्‍यता के साथ-साथ नवीन विचारधारा, वैज्ञानिकता उनके गीतों के मूल स्‍वर हैं। वे कहती हैं कि सबसे सुंदर पक्ष उनके गीत संग्रह का जो हृदय को छू जाता है वह है, उनके नारी के प्रति सम्‍मान से ओत-प्रोत गीत। पुरुष प्रधान समाज को चुनौतीपूर्ण स्‍वर में चेता रहे गीतकार कुछ इस प्रकार- मत कर नारी का अपमान.......हो न हो फिर नारी के नाम जाएगा.... ।' नारी सशक्तिकरण की प्रक्रिया में वे योगदान देते हुए अपनी सशक्‍त भूमिका रखते हैा। नारी माँँ, बहिन, बेटी, बहू हर रूप में सम्‍माननीय है, ऐसे संस्‍कारों की वर्तमान परिस्थितियों में बहुत आवश्‍यकता है। सभी को सम्‍मानित करने के पश्‍चात् सभी निर्णायकों को सम्‍मानित किया गया, जिन्‍होंने प्राप्‍त प्रविष्टियों से पाँँच साहित्‍यकारों को सम्‍मान हेतु चयन किया गया।  समारोह में सहयोगी बने सभी विज्ञापनदाता, प्रायोजकों को भी सम्‍मानित किया गया। अंत में शीला डोंगरे, संस्‍थापक अध्‍यक्ष अहिसास ने आभार व्‍यक्‍त किया।  दूसरे सत्र में पधारे सम्‍मानित साहित्‍यकारों व विशेष कर कवि सम्‍मेलन के लिए पधारे कवियों द्वारा मिश्रित काव्‍यपाठ किया गया।     

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